कहानियाँ 6

1महत्ता

एक प्रसिद्द वक्ता ने अपनी सेमीनार में जब बोलना शुरू किया तो उसने अपने हाथ में एक हजार रूपये का नोट लिया

उस हाल में जहाँ लगभग २०० लोग बैठे थे उसने पूछा " ये नोट कौन लेना चाहेगा ?"
Rajasthani ONE हिन्दी कहानियां
लोगों ने हाथ उठाने सुरु कर दिए थे

फिर उस वक्ता ने कहा " मैं ये नोट आप में से किसी एक को दूंगा पर पहले मुझे ये करने दे "
ये कहकर उसने नोट को मरोडना शुरू किया और उसको बुरी तरह से मरोड़ कर पूछा

"अब ये नोट किसे चाहिए", लोगों ने फिर हाथ उठा दिया
Rajasthani ONE Hindi kahaniya story
"ठीक है" उसने जवाब दिया "अब क्या कहेंगे "
ककर उसने नोट को नीचे गिराकर जुटे

से बुरी तरह कुचल डाला . अब उसने नोट को जो कि बुरी तरह से तुडा-मुदा था और गन्दा भी हो चूका था उठाया और फिर पूछा कि कौन इस लेना चाहेगा

फिर लोगो ने हाथ उठा दिया
Rajasthani ONE Hindi kahaniya story

rajasthani one hindi kahaniya story

अब वो वक्ता बोला
"आज हम सब लोगों ने इस नोट से एक बहुत जरूरी सबक सीखा है
आप सभी इस नोट को चाहते हो बावजूद इसके कि मैंने इसके साथ क्या किया
क्योंकि इसकी कीमत अब भी १००० रूपये ही है "
"हमारी जिंदगी में कई बार परिस्थितियों और अपने निर्णयों कि वजह से हम गिरा हुआ , कुचला हुआ और गन्दा महसूस करते हैं . यहाँ तक कि हमारी जिंदगी बेकार है पर बावजूद इसके कि क्या हुआ है और क्या होगा हम कभी भी अपनी महत्ता नहीं खोते हैं"


आप खास है, इस बात को कभी मत भूलिए. और कभी भी अपने बीते हुए बुरे कल को आने वाले अच्छे कल पर हावी मत होने दीजिए

2संघर्ष की महत्ता

एक व्यक्ति को तितली का एक कोकून मिला, जिसमें से तितली बाहर आने के लिए प्रयत्न कर रही थी. कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया था जिसमें से बाहर निकलने को तितली आतुर तो थी, मगर वह छेद बहुत छोटा था और तितली का उस छेद में से बाहर निकलने का संघर्ष जारी था.

उस व्यक्ति से यह देखा नहीं गया और वह जल्दी से कैंची ले आया और उसने कोकून को एक तरफ से काट कर छेद बड़ा कर दिया. तितली आसानी से बाहर तो आ गई, मगर वह अभी पूरी तरह विकसित नहीं थी. उसका शरीर मोटा और भद्दा था तथा पंखों में जान नहीं थी. दरअसल प्रकृति उसे कोकून के भीतर से निकलने के लिए संघर्ष करने की प्रक्रिया के दौरान उसके पंखों को मजबूती देने, उसकी शारीरिक शक्ति को बनाने व उसके शरीर को सही आकार देने का कार्य भी करती है. जिससे जब तितली स्वयं संघर्ष कर, अपना समय लेकर कोकून से बाहर आती है तो वह आसानी से उड़ सकती है. प्रकृति की राह में मनुष्य रोड़ा बन कर आ गया था, भले ही उसकी नीयत तितली की सहायता करने की रही हो. नतीजतन तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और जल्द ही काल कवलित हो गई.

संघर्ष जरूरी है हमारे बेहतर जीवन के लिए.


अगर पोस्ट अच्छी लगे तो लाइक व् शेयर करे 

सभी कहानिया पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे


RELATED POSTSइन्हे भी पढ़ना भूले

No comments: